अध्याय 63

अलोरा का दृष्टिकोण

जुड़वाँ मेरे पीछे-पीछे आँगन में आए, और मेरे पीछे विलो के पेड़ के सहारे खड़े हो गए। मैं पत्थर की बेंच पर बैठी थी, मेरी पीठ पेड़ की ओर थी और मैं कोई तालाब की ओर देख रही थी। मैं बस वहीं बैठी हवा में साँस ले रही थी, अपनी भावनाओं को शांत कर रही थी। रसोई में जो कुछ भी हुआ था उसके बा...

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